सेवा संगठन ने सहायक निदेशक को ज्ञापन सौंप कर क्लेम बिल बनाने की मांग की।
स्कूल एजुकेशन वेलफेयर एसोसिएशन राजस्थान के प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेशाध्यक्ष कोडाराम भादू के नेतृत्व में सहायक शिक्षा निदेशक अरुण स्वामी को ज्ञापन ज्ञापन सौंप कर आरटीई के तहत निशुल्क पढ़ाये गये विद्यार्थियों के भुगतान कलेम बिल बनाने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की। संगठन के प्रदेश मीडिया पर भारी शैलेश भदानी ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में सहायक निदेशक से मांग की कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा विभाग द्वारा जारी टाइम फ्रेम की पालनु में प्रदेश के गैर सरकारी स्कूलों ने अपने स्कूलों में 25% निशुल्क प्रवेश लेकर वर्ष पर्यंत उनको अध्ययन करवाया। यह शिक्षा सत्र आधे से ज्यादा बीत चुका है। शिक्षा विभाग द्वारा गठित भौतिक सत्यापन दलों द्वारा स्कूलों में जाकर भौतिक सत्यापन कर लिया गया है। तथा विद्यार्थियों को फीस पुनर्भण के योग्य एवं अयोग्य कर दिया गया है। लेकिन विभाग द्वारा अभी तक क्लेम बिल बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इसके चलते समय पर भुगतान नहीं हो पाएगा। तथा पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष में बजट लैप्स हो सकता है। जिससे गैर सरकारी विद्यालयों को भयंकर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। अतः समय रहते क्लेम बिल बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि समय पर भुगतान हो सके। सहायक निदेशक स्वामी ने बताया कि इस संबंध में जब तक यूनिट कॉस्ट का निर्धारण नहीं हो जाएगा तब तक बिल बनाया जाना संभव नहीं है। तथा यह कार्य शासन के स्तर पर होना है। इस संबंध में प्रदेश कार्यालय में संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने बैठक कर चर्चा की तथा निर्णय लिया कि अति शीघ्र जयपुर स्थित सचिवालय में शिक्षा सचिव से यूनिट कॉस्ट बढ़कर शीघ्र इसका निर्धारण कर बिल बनाने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की जाएगी। पूर्व में भी संगठन द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया गया है कि गत कई शत्रों से यूनिट कॉस्ट बढ़ने की वजह यूनिट कॉस्ट घटाई गई है। जबकि आरटीई एक्ट में प्रावधान है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे पर खर्च होने वाली राशि गैर सरकारी स्कूलों में निशुल्क पढ़ने वाले बच्चों को फीस पुनर्वाण के रूप में दी जाएगी। तथा वह यूनिट कॉस्ट कहलाएगी। प्रतिनिधि मंडल में मीडिया प्रभारी शैलेष भादानी, शहर संयोजक शैलेंद्र यादव, प्रकाश शर्मा आदि शामिल रहे।