श्री गणेश चतुर्थी की आप को परिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएं
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*गाइये गनपति जगबंदन ।
*संकर-सुवन भवानी-नंदन ॥१॥
*सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक ।
*कृपा-सिंधु, सुंदर, सब-लायक ॥२॥
*मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता ।
*बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता ॥३॥
*माँगत तुलसिदास कर जोरे ।
*बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥४॥
*भावार्थ -* सम्पूर्ण जगत् के वन्दनीय, गणों के स्वामी श्रीगणेशजी का गुणगान कीजिये, जो शिव-पार्वती के पुत्र और उनको प्रसन्न करने वाले हैं *॥१॥
जो सिद्धियों के स्थान हैं, जिनका हाथी का-सा मुख है, जो समस्त विघ्नों के नायक हैं यानी विघ्नों को हटाने वाले हैं, कृपा के समुद्र हैं, सुन्दर हैं, सब प्रकारसे योग्य हैं *॥२॥
जिन्हें लड्डू बहुत प्रिय है, जो आनन्द और कल्याण को देनेवाले हैं, विद्या के अथाह सागर हैं, बुद्धि के विधाता हैं *॥३॥
ऐसे श्रीगणेशजी से यह तुलसीदास हाथ जोड़कर केवल यही वर माँगता है कि मेरे मन मन्दिर में श्रीसीतारामजी सदा निवास करें *॥४॥
श्री गणेश चतुर्थी की आप को परिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएं