बीकानेर। ऐतिहासिक पहचान, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक पर्यटन की बात करें तो बीकानेर का नाम देशभर में सम्मान के साथ लिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बीकानेर अब एशिया का सबसे बड़ा गाँव बन चुका है — यह दावा किसी आम नागरिक ने नहीं, बल्कि स्वयं बीकानेर (पश्चिम) से भाजपा विधायक जेठानंद व्यास ने किया है। उनकी यह टिप्पणी शहर की दुर्दशा पर किया गया एक करारा प्रहार है, जो आज हर नागरिक की जुबान पर सच्चाई बनकर गूंज रही है।
43 वर्षों की अनदेखी ने बिगाड़ी शहर की तस्वीर
विधायक जेठानंद व्यास ने सीधे तौर पर बीकानेर के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला पर आरोप लगाते हुए कहा कि 43 वर्षों में शहर को एक ‘बड़ा गाँव’ बना दिया गया। आमजन की समस्याओं को कभी विधानसभा में प्रमुखता से नहीं उठाया गया। नतीजा — टूटी सड़कें, गहरे गड्ढे, बहता सीवर, थ्री-व्हीलर का बेतरतीब संचालन और सिकुड़ती गलियाँ, जिसने पैदल चलना तक मुश्किल बना दिया है।
अतिक्रमण और अनियोजित विकास की भेंट चढ़ा बीकानेर
बीकानेर के पॉश इलाके कहे जाने वाले हाउसिंग बोर्ड, पवनपुरी, जयनारायण व्यास कॉलोनी और सादुलगंज में बेतरतीब निर्माण, नियमों की अवहेलना और अनधिकृत व्यवसायों की भरमार देखी जा रही है। बिना अनुमति चल रहे मॉल, शोरूम, कोचिंग सेंटर, पैथोलॉजी लैब और वाइन शॉप्स ने लोगों का सुकून छीन लिया है। पवनपुरी जैसे क्षेत्र सरकारी डॉक्टरों के निजी धंधों का सुरक्षित ठिकाना बन चुके हैं।
बुनियादी सुविधाओं का अकाल
सिटी बस सेवा का अभाव।
सूचना केंद्र डाक बंगले में, खुद की इमारत तक नहीं।
रेल फाटक की बार-बार बंदी से जनता बेहाल।
सुरसागर, जो करोड़ों खर्च कर बना, पहली बरसात में ही ढह गया।
शिक्षा, स्वास्थ्य और शासन — तीनों मोर्चों पर फेल
कृषि विश्वविद्यालय को टुकड़ों में बाँट दिया गया।
गंगानगर विश्वविद्यालय में भर्ती नहीं।
राजस्थानी भाषा संकाय की हालत चिंताजनक।
PBM अस्पताल खुद बीमार, टेंडर ऊँची दरों पर।
नगर निगम में स्थायित्व नहीं, आयुक्त टिकते नहीं।
न्यास के पास पैसे नहीं, योजनाओं का टोटा।
जनता की आवाज़, अब विधानसभा में
विधायक जेठानंद व्यास की आवाज़ अब विधानसभा में भी गूंजने लगी है। हाल ही में बीकानेर दौरे पर आए प्रभारी मंत्री गजेंद्र सिंह खीवसर को शहर की दुर्दशा से रूबरू करवाया गया। मंत्री ने समस्याओं को मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का आश्वासन तो दिया, लेकिन जनता अब घोषणाओं से नहीं, परिणामों से संतुष्ट होती है।
बीकानेर की जनता अब जागरूक है, उसे अब भाषण नहीं, धरातल पर कार्य और ठोस योजनाओं की दरकार है। कहीं ऐसा न हो कि ऐतिहासिक बीकानेर, सच में सिर्फ कोटगेट, जूनागढ़ और करणी माता तक सीमित होकर विकास की दौड़ से बाहर ही रह जाए।