जयपुर: भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी चरम पर, ब्यूरोक्रेसी बनी भाजपा सरकार का सिरदर्द
जयपुर। राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद जहां कार्यकर्ता विकास और संगठन को मजबूती देने की उम्मीद में जुटे थे, वहीं अब उनकी नाराजगी सरकार के कामकाज को लेकर बढ़ती जा रही है। हालात यह हैं कि सरकार के खिलाफ संगठन और कार्यकर्ताओं में हताशा का माहौल है।
कार्यकर्ता ठगा हुआ महसूस कर रहे
भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने पार्टी के विधायकों की जीत के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन अब उनके छोटे-छोटे काम तक अटक रहे हैं। प्रशासन के अधिकारी भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को धमकाने और दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि वे सरकार के होते हुए भी बेबस महसूस कर रहे हैं।
बीकानेर के बिछवाल थानाधिकारी गोविन्द सिंह चारण और भाजपा नेता भगवान सिंह मेडतिया के बीच ताजा विवाद हो या भाजपा नेता श्याम सिंह हडला का धरना—ऐसे कई उदाहरण सामने आ रहे हैं, जो भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी को बढ़ा रहे हैं।
“चार लोग चला रहे सरकार”
सूत्रों के अनुसार, राजस्थान सरकार में नौकरशाही पर प्रधानमंत्री कार्यालय से आए वरिष्ठ अधिकारी सुधांशु पंत का पूरा नियंत्रण है। उनके साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत और संघ प्रचारक निम्बाराम का भी प्रमुख प्रभाव है। ये चार लोग अपनी मनमर्जी से सरकार चला रहे हैं, और भाजपा के आम कार्यकर्ताओं की शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
भजनलाल सरकार बनी “ब्यूरोक्रेसी सरकार”
भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भजनलाल की अगुवाई वाली सरकार पूरी तरह ब्यूरोक्रेसी के मोहरे पर चल रही है। पुलिस प्रशासन भी बेलगाम हो चुका है। बीकानेर से लेकर अन्य जिलों में भाजपा कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही। वहीं, कांग्रेस कार्यकाल के दौरान उनके कार्यकर्ता डंके की चोट पर काम करवाते थे।
संगठन ने उठाई आपत्ति, लेकिन हल नहीं
भाजपा संगठन ने सरकार के सामने कई बार इस स्थिति को लेकर आपत्ति जताई है, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं आया। कार्यकर्ताओं में असंतोष इस कदर बढ़ गया है कि वे खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
सरकार को तुरंत सुधार लाने की जरूरत
भाजपा के लिए यह स्थिति आने वाले समय में चुनौती बन सकती है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी अगर दूर नहीं हुई, तो इसका असर न केवल संगठन पर पड़ेगा, बल्कि केंद्र सरकार की सेहत पर भी पड़ना तय माना जा रहा हैँ!
(रिपोर्ट: रघुवीर शर्मा, मारू समीक्षा)